Physics class 9th chapter 6 Notes in Hindi: ध्वनि(Sound) यह एक प्रकार का उर्जा का रूप होता है जो हमारी कानों को सुनने में सहायता प्रदान करता है ध्वनि कहलाता है |
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Physics class 9th chapter 6 Notes in Hindi
हम आपके लिए इस chapter ध्वनि(Sound) में कम समय में परिक्षा की तैयारी करने के लिए शाँट नोट्स लाए है। जिनसे आप अपनी परिक्षा की तैयारी कम से कम समय में कर पायेंगे । इस पोस्ट में हमने इस chapter का हरेक point को आसान भाषा में cover कियें है जो आप कभी नहीं भुल पाएंगे
ध्वनि (Sound)
यह एक प्रकार का उर्जा का रूप होता है जो हमारी कानों को सुनने में सहायता प्रदान करता है ध्वनि कहलाता है
Physics class 9th chapter 6 Notes in Hindi
ध्वनि का संचरण
संचरण एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसके अंतर्गत ध्वनि एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है ध्वनि का संचरण कहलाता है
- ठोस में ध्वनि की चाल = 5000 m / s होता है
- द्रव में ध्वनि की चाल = 1400 m / s होता है
- गैस में ध्वनि की चाल = 336 m / s होता है
तरंग (wave)
यह माध्यम के कणों में संचरित होने वाला विक्षोम होता है इस प्रक्रिया के दौरान माध्यम के कण स्वयं गति उत्पन्न नहीं करते बल्कि केवल कणों मेंविक्षोभ उत्पन्न करते हैं
- क्या आप जानते हैं ध्वनि तथा प्रकाश भी एक तरंग है
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यांत्रिक तरंग
यह एक प्रकार का ऐसा तरंग जो माध्यम के कणों द्वारा जानी जाती है यांत्रिक तरंग कहलाती है।
तरंग गति के प्रकार
अनुप्रस्थ तरंग : तरंग गति की वह प्रक्रिया जिसके अंतर्गत माध्यम के कण का कंपन जो होता है वह तरंग गति कि दिशा की ओर लम्बवत् होता है अनुप्रस्थ तरंग कहलाता है जैसे तनी हुई डोरी में उत्पन्न तरंग इत्यादि
श्रृंग : तरंग गति के माध्यम का जो कण होता है उसका ऊपर की ओर अधिकतम जो विस्थापन होता है उसे श्रृंग कहा जाता है
गर्त्त : तरंग गति के माध्यम का जो कौन होता है उसका नीचे की ओरअधिकतम जो विस्थापन होता है उसे गर्त्त कहा जाता है।
- एक श्रृंग + एक गर्त = एक तरंग
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अनुदैर्ध्य तरंग
तरंग गति की वह प्रक्रिया जिसके अंतर्गत माध्यम के कण का कंपन जो होता है वह तरंग गति के दिशा में होता है अनुदैर्ध्य तरंग कहलाता है
विरलन : यहाँ पर माध्यम का जो घनत्व होता है वह कम होता है विरलन कहलाता है
संपीडन : यहाँ पर माध्यम का जो घनत्व होता है वह अधिक होता है संपीडन कहलाता है
- एक विरलन + एक संपीडन = एक तरंग
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अनुप्रस्थ तरंग तथा अनुदैर्घ्य तरंग में अंतर
अनुप्रस्थ तरंग
- इसमें माध्यम के कारण का कंपन जो होता है वह तरंग गति की दिशा की ओर लंबवत होता है
- इसका ठोस द्रव गैस तथा निर्वात में गमन
- इसमें श्रृंग तथा गर्त होता है
- प्रकाश तरंग एक अनुप्रस्थ तरंग होता है
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अनुदैर्ध्य तरंग
- माध्यम के कण का जो कंपन होता है वह तरंग गति के दिशा में होता है
- इसका गमन ठोस द्रव गैस में होता है
- इसमें विरलन तथा संपीड़न होता है
- ध्वनि तरंग एक अनुदैर्ध्य तरंग होता है
एक दोलन
अनुप्रस्थ तरंग में
दो श्रृंग + दो गर्त्त = एक दोलन
अनुदैर्ध्य तरंग में
दो संपीडन + दो विरलन = एक दोलन
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आवृति (frequency)
1 सेकंड में पूरा किया गया दोलनो की संख्या जो तरंग के माध्यम द्वारा पूरा किया जाता है आवृत्ति कहलाता है
- F इसका सुचक होता है
- हर्ट्ज इसका s / i मात्रक होता है
- 1 हर्ट्ज = 1 / sec
आवर्तकाल (time period)
एक दोलन पूरा करने में जो समय लगता है किसी माध्यम के कणों द्वारा उसे आवर्तकाल कहते हैं
- T इसका सुचक होता है
- सेकेंड इसका s / i मात्रक होता है
- आवृति = 1 / आवर्तकाल या F= 1 / T
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तरंगदैर्घ्य
अनुप्रस्थ तरंग में
इसमें दो लगातार श्रृंग तथा दो लगातार गर्त के बीच की दुरी होता है।
अनुदैर्ध्य तरंग में
इसमें दो लगातार वीरलन तथा दो लगातार संपीड़न के बीच की दूरी होता है
- लैम्डा इसका सुचक होता है
- मीटर इसका s / i मात्रक होता है
आयाम (Amplitude)
तरंग गति की वह प्रक्रिया जिसके अंतर्गत माध्यम के कण द्वारा माध्य स्थिति से महत्तम विस्थापन के द्वारा लटकन बिंदु पर कोण बनता है आयाम कहलाता है
- A इसका सुचक होता है
- मीटर इसका s / i मात्रक होता है
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तरंग वेग (Wave velocity)
इकाई समय में किया गया विस्थापन तरंग वेग कहलाता है।
- V इसका सुचक होता है
- m / s इसका s / i मात्रक होता है
- तरंग वेग = तरंगदैर्ध्य / आवर्तकाल या आवृति X तरंगदैर्ध्य
तारत्व
ध्वनि तरंग का ऐसा गुण जो आवृति पर निर्भर करता है तारत्व कहलाता है
- पुरुष का ध्वनि तारत्व महिला की अपेक्षा कम होता है
- जिस ध्वनि की तारत्व कम उसका आवृत्ति भी कम होता है
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प्रबलता
ध्वनि तरंग का ऐसा गुण जो आयाम पर निर्भर करता है प्रबलता कहलाता है
गुणत्ता
यह ध्वनि तरंग का वह गुण होता है जो प्रबलता तथा तारत्व के ध्वनि में अंतर को बताता है
तीव्रता
ध्वनि तरंग का वह गुण जिसके अंतर्गत ध्वनि इकाई क्षेत्रफल से 1 सेकंड में गुजर जाता है
टोन : इसमें ध्वनि की एक आवृत्ति होती है
स्वर : इसमें ध्वनि की आवृत्ति एक से अधिक होती है
शोर : यह एक प्रकार का स्वर होता है जो मानव कान को अच्छा नहीं लगता है
प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर
प्रबलता
- प्रबलता व्यक्ति के कान की संवेदनशीलता पर निर्भर करता है
- यह भौतिक राशि नहीं होता है
- यह मात्रक हीन होता है
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तीव्रता
- तीव्रता व्यक्ति के कान की संवेदनशीलता पर निर्भर नहीं करता है
- यह भौतिक राशि होता है
- watt / m² इसका s / i मात्रक होता है
पारा ध्वनिक चाल
जब किसी वस्तु की चाल ध्वनि की चाल से अधिक होती है तो उसे पारा ध्वनिक चाल कहते हैं जैसे जेट वायुयान की जो चाल होती है वह साधारण ध्वनि की चाल से अधिक होती है
ध्वनिक बुम
पारा ध्वनिक की चाल से हवा में प्रघाती तरंग उत्पन्न होती है जिससे बहुत ज्यादा अधिक तेज और मजबूत ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे ध्वनिक बुम कहा जाता है
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ध्वनि का परावर्तन
ध्वनि का किसी माध्यम से टकराकर पुनः उसी दिशा में वापस आने की घटना को ध्वनि का परावर्तन कहा जाता है
ध्वनि के परावर्तन के नियम
- आपतित ध्वनि तरंग के संचरण की दिशा , परावर्तित ध्वनि तरंग की दिशा तथा आपतन बिंदु पर डाला गया अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं
- आपतन कोण का मान परावर्तन कोण के मान के बराबर होता है
प्रतिध्वनि
ध्वनि का किसी माध्यम से टकराकर परावर्तित होकर उसे बार बार सुने जाने की प्रक्रिया प्रतिध्वनी कहलाता है
अनुरणन
इस प्रक्रिया के अंतर्गत ध्वनि परावर्तन के कारण निर्बध हो जाता है अनुरणन कहलाता है
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मेगाफोन
इस प्रक्रिया को अपनाकर ध्वनि को दूर तक प्रसारित किया जाता है
स्टेथोस्कोप
इससे हृदय की गति को मापा जाता है
श्रव्यता का परिसर
इस ध्वनि आवृति का क्षेत्र 20 Hz से 20000 Hz के बीच होता है यह क्षेत्र मानव कर्ण के लिए सुलभ होता है।
अवश्रव्य ध्वनि तरंग
इस ध्वनि आवृति का क्षेत्र 20 Hz से कम होता है जैसे इस प्रकार की ध्वनि आवृति हाथी ह्वेल बैल इत्यादि द्वारा उत्पन्न किया जाता है।
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पराश्रव्य ध्वनि तरंग
इस ध्वनि आवृति का क्षेत्र 20000 Hz से अधिक होता है जैसे इस प्रकार की ध्वनि आवृति कुता डॉल्फिन इत्यादि द्वारा उत्पन्न किया जाता है।
श्रव्य ध्वनि तरंग
इस ध्वनि आवृति का क्षेत्र 20 Hz से अधिक तथा 20000 Hz से कम होता है। इस ध्वनि आवृति को मनुष्य द्वारा उत्पन्न किया जाता है।
पारा ध्वनि तरंग का उपयोग
- धातु में जो दोष होता है उसका पता करने में
- इसका उपयोग मिश्रधातु के निर्माण में किया जाता है
- इसका प्रयोग नाभिकीय रिएक्टर की देखरेख में किया जाता
- है
- इसका उपयोग मस्तिष्क में उपस्थित ट्यूमर का पता करने में किया जाता है
- लिंग जांच में इसका प्रयोग किया जाता है।
- इसका प्रयोग यकृत संबंधित रोग का पता लगाने में होता है
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सोनार
यह एक प्रकार का ऐसा यंत्र होता है जिसकी सहायता से जल में पाए जाने वाले वस्तुओं की दिशा चाल तथा दूरी को मापा जाता है सोनार कहलाता है
- SONAR – Sound Navigation and ranging
मानव कर्ण (Human ear)
यह एक प्राकृतिक यंत्र होता है जिसकी सहायता से मानव सुन पाता है मानव कर्ण कहलाता है
मानव कर्ण के भाग
वाह्य कर्ण
यह मानव कान का सबसे बाहरी भाग होता है इसके अंतर्गत दो रचनाएं आती है ए) कर्ण पल्लव तथा वाह्य श्रवण मार्ग
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मध्य कर्ण
मानव कान का बीच का भाग होता है जो कान और वाह्य श्रवण मार्ग के अंतिम छोर के बीच उपस्थित होता है इसमें तीन प्रकार की अस्थियां होती है i) मैलियस ii) इनकस iii) स्टेपिस
अन्तः कर्ण
यह मानव कान का सबसे अंदर वाला भाग होता है इसे कला गहन भी कहा जाता है इसके 2 भाग होते हैं
i) वेस्टिव्यूल ii) युट्रिकुलस
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