Physics class 9th chapter 2 Notes in Hindi : गति का वर्णन (Describing of motion) जब कोई वस्तु समय के साथ स्थान बदलता है तो उस वस्तु को गति में समझा जाता है जैसे दौड़ता हुआ बालक उड़ती हुई चिड़िया तैरता हुआ मनुष्य इत्यादि |
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Physics class 9th chapter 2 Notes in Hindi
हम आपके लिए इस chapter गति का वर्णन (Describing of motion) में कम समय में परिक्षा की तैयारी करने के लिए शाँट नोट्स लाए है। जिनसे आप अपनी परिक्षा की तैयारी कम से कम समय में कर पायेंगे । इस पोस्ट में हमने इस chapter का हरेक point को आसान भाषा में cover कियें है जो आप कभी नहीं भुल पाएंगे
विराम(rest)
जब कोई वस्तु समय के साथ स्थान नहीं बदलता है तो उस वस्तु को विराम में समझा जाता है जैसे मेज पर पड़ी पुस्तक गोलघर पर बैठा बालक पेड़ पर बैठी चिड़िया इत्यादि
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गति(Motion)
जब कोई वस्तु समय के साथ स्थान बदलता है तो उस वस्तु को गति में समझा जाता है जैसे दौड़ता हुआ बालक उड़ती हुई चिड़िया तैरता हुआ मनुष्य इत्यादि
दुरी
किसी वस्तु की प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच तय की गई वास्तविक पथ की लंबाई को दूरी कहते हैं
विस्थापन(Displacement)
किसी वस्तु की प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच के अल्पतम पथ की लंबाई को विस्थापन कहते हैं
- दूरी या विस्थापन को s या d से सूचित किया जाता है
- दुरी या विस्थापन का s / i मात्रक मीटर तथा C.G.S मात्रक सेंटीमीटर होता है
- दूरी अदिश राशि होता है
- विस्थापन सदिश राशि होता है
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दुरी तथा विस्थापन में अंतर
दुरी –
- वस्तु द्वारा तय की गई रास्ते की लंबाई को दूरी कहते हैं
- यह एक अदिश राशि होता है
- तय की गई दूरी या तो विस्थापन से बड़ा या विस्थापन के समान होता है
- तय की गई दूरी हमेशा धनात्मक होती है
विस्थापन –
- वस्तु द्वारा तय की गई रास्ते की न्यूनतम दूरी को विस्थापन कहते हैं
- यह एक सदिश राशि होता है
- तय किया गया विस्थापन तय की गई दूरी के समान या उससे कम होता है
- विस्थापन धनात्मक ऋणात्मक या शुन्य हो सकता है
भौतिक राशि(Physical quantity)
वैसी राशि जो मापी जा सकती है भौतिक राशि कहलाती है जैसे लंबाई क्षेत्रफल दूरी विस्थापन ताप द्रव्यमान शक्ति ऊर्जा इत्यादि
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भौतिक राशि के प्रकार
अदिश राशि (Scalar quantity)-: ऐसी राशि जिसमें केवल परिमाण हो अदिश राशि कहलाती है जैसे लंबाई द्रव्यमान समय तक कार्य इत्यादि
सदिश राशि (Vector quantity)-: ऐसी राशि जिसमें परिमाण के साथ-साथ दिशा का भी ज्ञान होता है सदिश राशि कहलाता है जैसे विस्थापन वेग त्वरण बल संवेग आवेग भार इत्यादि
अदिश राशि तथा सदिश राशि में अंतर
अदिश –
- इसमें केवल परिमाण होता है
- यह विभाजन नियम का पालन करता है
- अदिश राशि को व्यक्त करने के लिए किसी विशेष निरूपण की आवश्यकता नहीं होती है
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सदिश –
- इसमें परिमाण के साथ-साथ दिशा का भी ज्ञान होता है
- यह सदिश योग के नियम का पालन करता है
- सदिश राशि को व्यक्त करने के लिए तीर का निशान का उपयोग किया जाता है
चाल(Speed)
किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं यह एक अदिश राशि होता है इसका s/i मात्रक मीटर प्रति सेकंड होता है चाल = दुरी / समय
चाल के प्रकार
एक समान चाल – यदि कोई वस्तु सामान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है चाहे समय अंतराल कितनी ही छोटी क्यों न हो तो वस्तु एक समान चाल में समझा जाता है
असमान चाल – यदि कोई वस्तु समान समय अंतराल में असमान दूरी अथवा असमान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है तो उसे असमान चाल में समझा जाता है
तात्क्षणिक चाल – किसी खास जगह पर किसी खास समय में वस्तु की चाल तात्क्षणिक चाल कहलाती है
औसत चाल – भिन्न भिन्न समय अंतराल में तय की गई कुल दूरी तथा दूरी तय करने में लगे समय के अनुपात को औसत चाल कहते हैं
औसत चाल = कुल दुरी / कुल समय
वेग(Velocity)
एकांक समय में तय की गई विस्थापन वेग कहलाता है दूसरे शब्दों में दिशायुक्त चाल को वेग कहते हैं
- इसे v या u द्वारा सूचित किया जाता है
- इसका s/i मात्रक मीटर पर सेकंड और C.G.S मात्रक में cm/sec होता है
- यह एक सदिश राशि है
- वेग = विस्थापन / समय
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वेग के प्रकार
एक समान वेग – जब कोई वस्तु सामान समय अंतराल में समान विस्थापन तय करता है चाहे समय अंतराल कितनी ही छोटी क्यों न हो तो उसे एक समान वेग समझा जाता है
असमान वेग – जब कोई वस्तु समान समय अंतराल में असमान विस्थापन तय करता है या असमान समय अंतराल में समान विस्थापन तय करता है तो उसे असमान वेग में समझा जाता है
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तात्क्षणिक वेग – किसी खास समय में खास बिंदु पर किसी वस्तु का वेग उसका तात्क्षणिक वेग कहलाता है
औसत वेग – भिन्न भिन्न समय अंतराल में तय की गई कुल विस्थापन तथा विस्थापन तय करने में लगे समय के अनुपात को औसत वेग कहते हैं औसत वेग = u + v / 2
u = प्रारंभिक वेग तथा v = अंतिम वेग
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चाल तथा वेग में अंतर
चाल –
- इकाई समय में तय की गई दूरी चाल कहलाती है
- यह एक अदिश राशि है
- एक समान वृत्तीय गति में चाल अचर रहता है
- यह केवल धनात्मक होता है
वेग –
- इकाई समय में तय किया गया विस्थापन वेग कहलाता है
- यह सदिश राशि है
- यह धनात्मक ऋणात्मक और शून्य हो सकता है
- एक समान वृत्तीय गति में वेग चर रहता है
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त्वरण(Acceleration)
किसी वस्तु की वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं प्रायः इसे a द्वारा सूचित किया जाता है
- त्वरण = वेग में परिवर्तन / लगा समम या a = v- u / t
- v = अंतिम वेग तथा u = प्रारंभिक वेग
- त्वरण का s / i मात्रक m/sec² तथा C.G.S मात्रक Cm/Sec² होता है
- त्वरण सदिश राशि होता है
- यदि वस्तु का वेग समय के साथ बढ़ता है तो त्वरण का मान धनात्मक होता है
- यदि वस्तु का वेग समय के साथ घटता है तो त्वरण का मान ऋणात्मक होता है
- यदि वस्तु का वेग एक समान रहता है तो त्वरण का मान शुन्य रहता है
- ऋणात्मक त्वरण को मंदन कहते हैं
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त्वरण के प्रकार
एक समान त्वरण – यदि किसी वस्तु का वेग समान समय अंतराल में समान रूप से घटता या बढ़ता है तो वस्तु के त्वरण को एक समान त्वरण कहा जाता है जैसे स्वतंत्र रूप से गिर रही वस्तु का त्वरण
असमान त्वरण – यदि समान समय अंतराल में किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर असमान रहती है तो वस्तु के त्वरण को असमान त्वरण कहा जाता है
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ग्राफ(Graph)
दो परिवर्तनशील राशियों के बीच चित्रित प्रदर्शन ग्राफ कहलाता है उन राशियों में एक राशि को X-अक्ष पर तथा दूसरी राशि को Y-अक्ष पर दर्शाया जाता है इसमें स्वतंत्र राशि को X-अक्ष तथा आश्रित राशि को Y-अक्ष पर रखा जाता है
दुरी समय ग्राफ
किसी वस्तु द्वारा तय की गई दूरी तथा दूरी तय करने में लगे समय के बीच खींचा गया ग्राफ दूरी समय ग्राफ कहलाता है इस ग्राफ में दूरी को Y-अक्ष पर तथा समय को X-अक्ष पर प्रदर्शित किया जाता है
- एक समान चाल की ग्राफ की आकृति सरल रेखा होती है
- असमान चाल की ग्राफ की आकृति वक्र होती है
- दूरी समय ग्राफ की ढाल चाल का मान देती है
- वह ग्राफ जो समय अक्ष के साथ जितना ही बड़ा कोण बनाती है वह ग्राफ उतना ही अधिक चाल का मान देती है
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चाल समय ग्राफ
एक सरल रेखा में चल रही वस्तु की चाल में समय के साथ परिवर्तन को चाल समय ग्राफ द्वारा दर्शाया जाता है इसके लिए समय को X-अक्ष तथा चाल को Y-अक्ष पर दर्शाया जाता है
वेग समय ग्राफ
किसी वस्तु के वेग में समय के साथ परिवर्तन करने वाला ग्राफ वेग समय ग्राफ कहलाता है इसके लिए समय को X-अक्ष पर तथा वेग को Y-अक्ष पर रखा जाता है
कुछ महत्वपूर्ण फॉर्मूला
- i) – v = u + at
- ii) – s = ut +½ at²
- iii) – v² = u² + 2as
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गुरुत्व के अधीन गति
किसी वस्तु को निश्चित ऊंचाई से उदग्र रूप में नीचे गिराई जाती है या किसी वस्तु को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाता है तो पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण वस्तु में गुरुत्वीय त्वरण उत्पन्न होता है
- वस्तु निश्चित ऊंचाई से गिराई जाती है तो g का मान धनात्मक होता है
- वस्तु ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाता है तो g का मान ऋणात्मक होता है
‘g’ से संबंधित महत्वपूर्ण फॉर्मुला
- ‘g’ उपर की ओर ‘g’ नीचे की ओर
- v = u – gt v = u + gt
- h = ut -½ gt² h = ut +½ gt²
- v² = u² – 2gh v² = u² + 2gh
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वृतीय गति(Circular motion)
जब कोई वस्तु वृत्तीय पथ पर समय के साथ स्थान परिवर्तन करती है तो ऐसी गति वृत्तीय गति कहलाती है जैसे पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति सूर्य के चारों ओर ग्रह की गति
कोणीय विस्थापन(Angular displacement)
जब कोई वृत्तीय पथ पर घूमती है तो वस्तु के प्रारंभिक और अंतिम स्थिति के कारण केंद्र पर बनाया गया कोण कोणिय विस्थापन कहलाता है इसे प्रायः थीटा से सूचित किया जाता है थीटा = l / r रेडियन
l = चाप की लम्बाई तथा r = त्रिज्या
कोणिय विस्थापन का मात्रक रेडियन होता है
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1 रेडियन
1 रेडियन वृत्त की त्रिज्या के समान लंबाई के चाप द्वारा उस वृत्त के केंद्र पर बनाए गए कोण को एक रेडियन कहते हैं
- एक रेडियन = 57.3°
- π रेडियन = 180°
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