Physics class 10th chapter 4 notes in Hindi | विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव (Magnetic effect of electric current) Best Science Notes in Hindi

Physics Class 10 Chapter 4 Notes in Hindi :BSEB Class 10th Notes in Hindi विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव (Magnetic effect of electric current) class 10 chapter 4 notes in Hindi NCERT notes class 10th chapter 4 विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव(Magnetic effect of electric current) नोट्स इन हिंदी class 10 physics chapter 4 notes in Hindi |

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Physics class 10th chapter 4 notes in Hindi

Physics class 10th chapter 4 notes in Hindi
Physics class 10th chapter 4 notes in Hindi

हम आपके लिए इस chapter विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव(Magnetic effect of electric current) में कम समय में परिक्षा की तैयारी करने के लिए शाँट नोट्स लाए है। जिनसे आप अपनी परिक्षा की तैयारी कम से कम समय में कर पायेंगे । इस पोस्ट में हमने इस chapter का हरेक point को आसान भाषा में cover कियें है जो आप कभी नहीं भुल पाएंगे ।

चुंबक(Magnet)

ऐसा पदार्थ जो लोहा कोबाल्ट निकेल इस्पात के टुकड़े को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा स्वतंत्र अवस्था में हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित होता है उसे चुंबक कहते हैं

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चुम्बकत्व(Magnetism)

चुंबक में आकर्षण तथा दिशा निर्देशन का गुण होता है चुंबक के इन गुणों को चुम्बकत्व या  चुंबकीय गुण कहते होते हैं

चुंबक के गुण

  • एक छड़ चुंबक को जब स्वतंत्र अवस्था में लटकाया जाता है तो यह हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में ही आकर ठहरता है
  • चुंबक का जो सिरा उत्तर दिशा की ओर संकेत करता है वह उत्तर ध्रुव कहलाता है
  • चुंबक के समान ध्रुव आपस में प्रतिकर्षित तथा असमान ध्रुव आपस में आकर्षित करते हैं
  • चुंबक के ध्रुव को पृथक नहीं किया जा सकता है

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चुंबकीय क्षेत्र(Magnetic field)

चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें चुंबक के आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का अनुभव किया जा सकता है चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है मैग्नेटाइट( काला पत्थर) एक प्राकृतिक चुंबक है

चुंबकीय ध्रुव(Magnetic pole)

चुंबक के सिरों पर स्थित वह क्षेत्र जहां चुंबकीय मोड़ अधिकतम होते हैं उन्हें चुम्बकिय ध्रुव कहते हैं

चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं या चुंबकीय बल रेखाएं

चुंबकीय बल रेखाएं वे बंद वक्र हैं जिनके किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र के दिशा बताती है

चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण

  • यह रेखाएं है बंद वक्र होती है
  • यह रेखाएं उत्तरी ध्रुव से शुरू होकर दक्षिणी ध्रुव तक समाप्त होती है
  • यह रेखाएं कभी भी एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती है

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ओर्स्टेड का प्रयोग

 ओर्स्टेड नामक वैज्ञानिक ने 1820 ईसवी में धारावाहिक तार के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र का अस्तित्व ज्ञात किया था जिसे ओर्स्टेड का प्रयोग कहते हैं इस प्रयोग के अनुसार  ने ओर्स्टेड एक चुंबकीय सुई लिया फिर एक चालक तार को चुंबकीय सुई के समांतर व्यवस्थित किया उन्होंने पतले में धारावाहिक प्रवाहित नहीं किया तो चुंबकीय सुई में किसी प्रकार का कोई विक्षोभ नहीं हुआ फिर जब दूसरी आकृति में धारा प्रवाहित किया तो देखा कि चुंबकीय सुई विछेपित हो जाती है

मैक्स वेल के दक्षिण हस्त का नियम

चुंबकीय क्षेत्र की दिशा धारा की दिशा से संबंध होती है जिसे मैक्सवेल के दक्षिण हस्त नियम कहते हैं इस नियम के अनुसार यदि धारावाहिक तार को दाया हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़े की अंगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता है तो उंगलियां चुंबकीय क्षेत्र के बल रेखाओं की दिशा को व्यक्त करती है

परिनालिका(Solenoid)

जब किसी चालक पदार्थ के ऊपर चालक तार की कुंडली लपेट दी जाती है तो ऐसी व्यवस्था परिनालिका कहलाती है

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विद्युत चुंबक

विद्युत चुंबक वह युक्ति है जिस में विद्युत धारा को प्रवाहित करने से चुंबकत्व आ जाता है तथा विद्युत धारा समाप्त करने पर चुंबकत्व समाप्त हो जाता है विद्युत चुंबक कहलाता है

विद्युत चुंबक का उपयोग

इसका उपयोग लोहे की भारी टुकड़ों को उठाने में विद्युत घंटी माइक्रोफोन टेलीविजन लाउडस्पीकर इत्यादि में किया जाता है

विद्युत चुंबक एवं अस्थाई चुंबक में अंतर

विद्युत चुंबक – यह एक अस्थाई चुंबक है यह प्रबल चुंबकीय बल लगा सकता है विद्युत चुंबक की शक्ति फेरो की संख्या पर निर्भर करती है जो फेरों की संख्या बढ़ने से घटती है  

स्थाई चुंबक – छड़ चुम्बक एक स्थायी चुम्बक है। इसका आकर्षण बल कमजोर होता है। स्थायी चुम्बक कि शक्ति निश्चित रहती है।

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फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम

फ्लेमिंग नामक वैज्ञानिक ने चुंबक द्वारा धारावाही चालक तार पर लगाए गए बल की दिशा जानने के लिए एक नियम बताया जिसे फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम कहते हैं इस नियम के अनुसार अपने बाएं हाथ की उंगली तर्जनी माध्यम अंगूठा को परस्पर इस प्रकार फैलाएं कि यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा मध्यमा धारा की दिशा को दर्शाता है तो अंगूठा धारावाहिक चालक तार पर लगे बल् दिशा को व्यक्त करेगा

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लॉरेंज बल

जब चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उन गतिशील इलेक्ट्रॉनों पर बल लगता है जिसे लॉरेंज बल कहते हैं

चुंबकीय क्षेत्र में किसी विद्युत धारावाही चालक तार पर लगने वाला बल इन बातों पर निर्भर करता है

चुंबकीय क्षेत्र की सामर्थ्य पर –धारावाही चालक पर लगा बल चुंबकीय क्षेत्र के सामर्थ्य का सीधा समानुपाती होता है

विद्युत धारा के प्राबल्य पर –धारावाहिक चालक पर लगा बल विद्युत धारा के प्राबल्य का सीधा समानुपाती होता है

चालक तार की लंबाई पर –धारावाही चालक पर लगा बस चालक की लंबाई का सीधा समानुपाती होता है

अर्थात् f=B×I×L

चुंबकीय क्षेत्र का s/i मात्रक टेसला होता है 1 टेसला=1N/A/M या f=B×q×v

विद्युत चुंबकीय प्रेरणन

परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र के कारण किसी चालक से धारा उत्पन्न होने की घटना विद्युत चुंबकीय प्रेरणन कहलाता है

फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम

इस नियम के अनुसार अपने दाहिने हाथ की तर्जनी मध्यमा और अंगूठे को परस्पर इस प्रकार फैलाएं कि यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा अंगुठा चालक के गति की दिशा को व्यक्त करता है तो मध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा को व्यक्त करती है

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चुंबकीय फ्लक्स(Magnetic flux)

समतल सतह पर चुंबकीय क्षेत्र के अभिलंब घटक तथा सतह के क्षेत्रफल के गुणनफल के सतह को चुंबकीय फ्लक्स कहते हैं चुंबकीय फ्लक्स का s/i मात्रक वेबर होता है जिसे फाई द्वारा सूचित किया जाता है

लेंज का नियम

इस नियम के अनुसार है जब किसी विद्युत चुंबकीय प्रेरणन से किसी परिपथ में धारा उत्पन्न होती है तो उसकी दिशा ऐसी होती है वह उस कारण का विरोध करती है जिससे वह उत्पन्न होती है इसे ही लेंज का नियम होते हैं

ट्रांसफार्मर

ट्रांसफार्मर एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रतिवर्ती धारा की वोल्टता को कम अथवा अधिक किया जा सकता है

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जीवीत तार या गर्म तार – 220V वाले तार को जीवित तार कहते हैं

उदासीन तार या ठंडा तार -पृथ्वी के संपर्क में रहने वाला तार उदासीनता कहलाता है

पावर लाइन या घरेलु लाइन –15Aलाइन को पावर लाइन तथा 5A लाइन को घरेलू लाइन कहते हैं

15A परिपथ में हीटर रेफ्रिजरेटर विद्युत स्त्री इत्यादि को जोड़ा जाता है जबकि 5A परिपथ में बल्ब पंखा इत्यादि को जोड़ा जाता है

भारत में घरेलू उपयोग के लिए प्रतिवर्ती धारा की आवृत्ति 50hz होती है

विद्युत वितरण व्यवस्था

विद्युत उत्पादन केंद्र से विशेष प्रकार के तारों की व्यवस्था द्वारा उपभोक्ताओं घरों तक विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था को विद्युत वितरण व्यवस्था कहते हैं

दिष्ट धारा की आवृत्ति शुन्य तथा प्रतिवर्ती धारा की आवृत्ति 50Hz होती है

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प्रतिवर्ती धारा तथा दिष्ट धारा में अंतर

प्रत्यावर्ती धारा(A.C) –धारा का मान तथा दिशा समय के साथ दोनो बदलता है।इसे आसानी से उत्पन्न किया जा सकता है इसे आसानी से D.C में बदला जा सकता है यह अधिक घातक होता है यह चालक की सतह पर प्रवाहित होता है

दिष्ट धारा(D.C) –केवल धारा का मान बदलता है अर्थात दिष्ट धारा एक ही दिशा में बहती है इससे उत्पन्न करने में कठिनाई होती है इसे A.C में बदलने में काफी कठिनाई होती है यह A.C की अपेक्षा कम घातक होती है यह चालक के अंदर से प्रवाहित होती है

प्रत्यावर्ती धारा से लाभ

  • प्रत्यावर्ती धारा से विद्युत वाहक बल ट्रांसफार्मर की सहायता से बढ़ाया या घटाया जा सकता है
  • इसका विद्युत वाहक बल बढ़ाकर इसे बहुत दूर तक भेजा जा सकता है
  • इस धारा के विद्युत वाहक बल को कम करके 6 वोल्ट की बती जलाई जा सकती है

प्रत्यावर्ती धारा से हानि

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  • प्रत्यावर्ती धारा से विद्युत लेपन तथा बैटरी ओ का आवेदन नहीं किया जा सकता है
  • इस धारा को संचायक सेल में संचित नहीं किया जा सकता है
  • इसके स्पर्श मात्र का झटका काफी घातक होता है
  • इस धारा का उपयोग विद्युत चुंबक में नहीं किया जा सकता है

विद्युत मोटर क्या है तथा इसके बनावट

विद्युत मोटर एक ऐसी युक्ति है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देता है जिनका उपयोग विद्युत पंखा वाशिंग मशीन रेफ्रिजरेटर इत्यादि में किया जाता है

बनावट –विद्युत मोटर में एक नाल चुंबक U आकार की होती है जिसे क्षेत्र चुंबक होते हैं चुंबक के ध्रुव खंडों के बीच नरम लोहे की प्लेट से बने एक क्रोड पर लिपटी तांबे तार की कुंडली होती है जिसकी फेरो की संख्या काफी अधिक होती है जिसे मोटर का आर्मेचर कहते हैं आर्मेचर के छोर पीतल के खंडित वलय से जुड़े रहते हैं इन वलयो से कार्बन ब्रश स्पर्श करते रहते हैंविद्युत मोटर की क्रिया छोरो पर चुंबकीय प्रभाव पर आधारित होती है विद्युत मोटर के आर्मेचर के धुरी पर यदि ब्लेड लगा दिया जाए तो मोटर विद्युत पंखा बन जाएगा

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विद्युत डायनेमो का सिद्धांत एवं बनावट

विद्युत डायनेमो में एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देती है यह विद्युत चुंबकीय प्रेरणन पर कार्य करता है

बनावट –डायनेमो में एक शक्तिशाली नाल चुंबक होता है जिसे क्षेत्र चुंबक होते हैं क्षेत्र चुंबक के ध्रुव के बीच है क्षैतिज अक्ष पर घूर्णन करने वाली एक कुंडली होती है जिसे आर्मेचर कहते हैं आर्मेचर में कुंडली की अनेक घेरे होते हैं जो नर्म में लोहे की पत्तियों पर लिपटे रहते हैं इसे आर्मेचर का क्रोड कहते हैं आर्मेचर के तार का छोर पीतल के वलयों से ढके रहते हैं तथा इन वलयों से कार्बन की पत्तियां हल्का स्पर्श करती है इन पतियो को ब्रश कहते हैं परिपथ को इन्हीं ब्रश में लगे बेंचो से जोड़ दिया जाता है

चुंबक के निकट लाने पर दिक् सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है

वास्तव में द्विक सूचक की सुई एक छोटा छड़ चुंबक होती है जब इसे किसी चुंबक के निकट लाया जाता है तो इस पर आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल लगता है इसलिए वह विच्छेपित हो जाता है

दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती है क्यों ?

क्योंकि यदि वे एक दूसरे को प्रति छेद करेंगे तो इसका अर्थ यह होगा कि उस बिंदु पर दो अलग दिशाओं को दर्शा रही है जो संभव नहीं है |

किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है

जब जीवित तार एवं उदासीनता आपस में संपर्क में आ जाते हैं तो लघुपथन की घटना होती है यह तभी होता है जब या तो तार का विद्युत रोधी नष्ट हो गया हो या विद्युत उपकरण में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी आ गई हो |

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