PHYSICS CLASS 10 CHAPTER 2 NOTES IN HINDI : (Human Eye and Colourful World) मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार Best science chapter 2 Notes

Physics Class 10 Chapter 2 Notes in Hindi : PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार (Human Eye and Colourful World) class 10 chapter 2 notes in Hindi NCERT notes class 10th chapter 2 class 10 physics chapter 1 notes in Hindi PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI physics class 10 chapter 2 pdf 10th class notes class 10 science notes chapter 1 class 10 physics chapter 3 10 science notes in hindi

Table of Contents

Physics Class 10 Chapter 1 Notes in Hindi

Physics Class 10 Chapter 1 Notes in Hindi
Physics Class 10 Chapter 1 Notes in Hindi

हम आपके लिए इस chapter मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार (Human Eye and Colourful World) में कम समय में परिक्षा की तैयारी करने के लिए शाँट नोट्स लाए है। जिनसे आप अपनी परिक्षा की तैयारी कम से कम समय में कर पायेंगे । इस पोस्ट में हमने इस chapter का हरेक point को आसान भाषा में cover कियें है जो आप कभी नहीं भुल पाएंगे ।

प्रकाशीय यंत्र(Optical Instrument)

दूर स्थित तथा निकट स्थित वस्तुओं के प्रतिबिंब को स्पष्ट प्राप्त करने के लिए जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है प्रकाशीय यंत्र कहलाता है|

मानव नेत्र

  • य क्षेत्र अधिकतम 360-degree हो जाता है
  • मानव नेत्र की रेटीना पर वस्तु का स्थाई प्रतिबिंब 1/10 sec का होता है

दृष्टि विस्तार

निकट बिंदु एवं दूर बिंदु के बीच की दूरी को दृष्टि विस्तार कहते हैं|

दृष्टि दोष

लेंस से दूर स्थित या नजदीक स्थित वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर बनने की क्षमता खो देना दृष्टि दोष कहलाता है

दृष्टि दोष के प्रकार कारण एवं उपचार

निकट दृष्टि दोष:

वैसा दृष्टि दोष जिसमें निकट की वस्तुएं स्पष्ट रुप से दिखाई दे परंतु दूर की वस्तुएं  स्पष्ट रूप से दिखाई ना दे निकट दृष्टि दोष कहलाता है।

 कारण: नेत्र गोलक का लंबा होना ,नेत्र लेंस का आवश्यकता से अधिक मोटा हो जाना जिसके फलस्वरूप उन की फोकस दूरी कम होती है

उपचार:निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिए उचित फोकस दूरी के अवतल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है।

दूर दृष्टि दोष:

वैसा दृष्टि दोष जिसमें दूर की वस्तुएं स्पष्ट रुप से दिखाई दे दीर्घ दृष्टि दोष कहलाता है परंतु निकट की वस्तुएं दिखाई नहीं दे|

कारण: नेत्र गोलक का छोटा होना , नेत्र लेंस का अवश्यकता से अधिक पतला हो जाना जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है।

उपचार:दीर्घ दृष्टि दोष के उपचार के लिए उचित फोकस दूरी के उत्तल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है।

जरा दृष्टि दोष:

वैसा दृष्टि दोष जिसमें निकट तथा दूर की वस्तु स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है।

कारण:यह रोग बुढ़ापे में नेत्र लेंस के प्रत्यास्था खो जाने से तथा सिलयारी पेशियों की सामंजन क्षमता घट जाने से उत्पन्न होती है इससे आंख के निकट बिंदु के साथ-साथ दूर के बिंदु भी प्रभावित होता है

उपचार:इस दोष को दूर करने के लिए बाय फोकल लेंस का प्रयोग किया जाता है

PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI

अबिंदुकता

वैसा दृष्टि दोष जिसमें क्षैतिज रेखा तथा ऊर्ध्वाधर रेखा स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है अबिंदुकता कहलाता है।

कारण: यह दोष कॉर्निया के क्षैतिज और उर्ध्वाधर तलो मे अनियमित वक्रता के कारण उत्पली होती है।

उपचार: इस दोष को दुर करने के लिए बेलनाकार लेंस का प्रयोग किया जाता है।

लेजर स्पेक

ऐसा यंत्र जिसमें दृष्टि की क्षमता जांच की जाती है लेजर स्पेक कहलाता है इसकी सहायता से कोई मनुष्य 30 सेकेंड से कम समय में आंखों की देखने की शक्ति माफ सकता है

क्या आप जानते हैं आंख दान करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

  • नेत्रदान करने वाला व्यक्ति किसी भी आयु वर्ग अथवा लिंग का हो सकता है
  • चश्मा पहनने वाले या मोतियाबिंद का ऑपरेशन करा चूकने वाले व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है
  • मृत्यु के बाद 4 से 6 घंटे के भीतर नेत्र को निकाल लेना चाहिए उसके बाद तुरंत नेत्र बैंक को सूचित कर देना चाहिए|
  • नेत्रदान वैसे व्यक्ति नहीं कर सकते हैं जिसको ऐड्स हेपटाइटिस हैजा इत्यादि से मृत्यु हुई हो।ह प्रकृति द्वारा मनुष्य को दिया गया सर्वश्रेष्ठ  प्रकाशीय यंत्र है जो उत्तल लेंस की भांति कार्य करता है|

PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI

मानव नेत्र के देखने की क्रिया विधि

जब किसी वस्तु से चली प्रकाशीय किरण नेत्र लेंस से अपवर्तित होता है तो उस वस्तु का वास्तविक और उल्टा प्रतिबिंब रेटिना पर प्राप्त होता है जिसकी सूचना प्रकाशीय तंतु के द्वारा मस्तिष्क को प्राप्त होती है तथा मस्तिष्क के प्रेरणा से मानव नेत्र वस्तु को सीधा करके स्पष्ट रूप में देख पाता है|

मानव नेत्र की संरचना

दृढपटल –मानव नेत्र के सबसे ऊपरी परत को दृढ़ पटल कहते हैं यह कठोर तथा सफेद होती है|

कॉर्निया –दृढ़ पटेल के सामने वाले भाग में कुछ उभरी हुई पारदर्शी झिल्ली होती है जिसे कॉर्निया कहते हैं कॉर्निया को C से सूचित किया जाता है|

वस्तु से आने वाली प्रकाश नेत्र में सबसे पहले कॉर्निया से होकर प्रवेश करती है|

रक्तक पटल – दृढपटल के नीचे वाली पटत को रक्तक परल कहते है| इसे कोरॉयड़ भी कहते है

आयरिश या परितारिका –कॉर्निया के पीछे एक छिद्र पट होता है जिसे आयरिश कहते हैं| जो पुतली के आकार को नियंत्रित करता है

पुतली या नेत्र द्वार –आयरिश के मध्य भाग में एक छोटा सा गोलाकार छिद्र होता है| जिसे पुतली कहते हैं यह नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है

सिलियरी पेशियां –आयरिश के पीछे वाले परत को सिलियरी पोशियां कहते हैं| जो नेत्र लेंस को लटकाए रखता है

नेत्र लेंस –पुतली के नीचे पारदर्शी तथा मुलायम पदार्थ का बना हुआ एक उत्तल लेंस होता है जिसे नेत्र लेंस कहते हैं| नेत्र लेंस ऑख के गोले को दो कोष्ठो में बढ़ता है

  • कॉनिया तथा नेत्र लेंस के बीच एक्वियस ह्युमस(A.H) नामक नमकिन द्रव पाया जाता है|
  • ऑसु एक्वियस ह्यूमस के कारण ही बनती है।
  • नेत्र लेंस का पिछला भाग विट्रियस ह्युमस नामक पारदर्शी रंगहीन जेली जैसे द्रव से भरा रहता है।

रेटीना या दृष्टि पटल –आंख के सबसे भीतरी भाग को रेटीना कहते हैं| जो बहुत ही प्रकाश सुग्राही ही होता है

नेत्र लेंस वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना पर ही बनाती है

रेटीना से दो प्रकार के तंतु जुड़े रहते हैं जिन्हें छड़ तथा शंकु  कहते हैं शंकु रंगों का आभास कराता है जबकि छड़ से अंधेरे में रखी वस्तु का अनुमान लगाया जा सकता है

पीत बिंदु –रेटिना के मध्य में एक ऐसा बिंदु होता है जो कुछ उठा हुआ रहता है जिसे पित बिन्दू कहते है। इसमे सिर्फ शंकु पाया जाता है।

अंध बिंदु –पीत बिंदु के कुछ नीचे एक अन्य बिंदु रहता है जिसे अंध बिंदु कहते है। इस पर बने प्रतिबिंब की अनुभूति मस्तिष्क नहीं करता है

PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI

मानव नेत्र का सामंजन क्षमता

आंखों की ऐसी क्षमता जिससे नेत्र लेंस की फोकस दूरी आपसे आप बदलती है समंजन क्षमता कहलाती है| सामान्य आंख के लिए समंजन छमता 4D होता है

मोतियाबिंद

अधिक आयु वाले व्यक्तियों का नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस का दूधिया या धुंधला हो जाने कि प्रावृति मोतियाबिंद कहलाता है

मानव नेत्र का निकट बिंदु 

आंखों के सबसे निकट का वह बिंदु जहां पर रखी वस्तु  स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है निकट बिंदु कहलाता है। सामान्य आंख के लिए निकट बिंदु 25cm होता है

मानव नेत्र का दूर बिंदु

आंख से सबसे दूर का वह बिंदु जहां पर रखी वस्तु स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है दूर बिंदु कहलाती है। सामान्य आंख के लिए दूर बिंदु अनंत होता है

स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी

वह न्यूनतम दूरी जहां रखी वस्तु  सामान्य आंख द्वारा आसानी से देखा जा सकता है स्पष्ट दूरी की न्यूनतम दूरी कहलाती है।

मानव नेत्र के बारे में अमेजिंग फैक्ट

  • मानव के एक नेत्र का क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग 150 होता है| जबकि दो नेत्रों द्वारा यह लगभग 180 डिग्री हो जाता है
  • एक नेत्र को बंद करके देखने पर संसार चिपटा एवं द्विबिम्ब लगता है
  • दोनों नेत्र खोलने पर संसार की वस्तुओं में गहराई की तीसरी बिमा दिखाई देने लगती है
  • बहुत सारे पक्षियों और जानवरों के सिर पर दो नेत्र विपरीत दिशाओं में स्थित होते हैं जिसके फलस्वरूप उसका दृष्टि 

PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI

प्रिज्म

काँच का बना वह पारदर्शी माध्यम जो दो त्रिभुजाकार तथा तीन आयताकार सतहों से घिरा रहता है। प्रिज्म कहलाता है।

प्रिज्म का कोण

प्रिज्म के किन्हीं दो अपवर्तक सतहो के बीच के कोण को प्रिज्म का कोण कहते हैं। इसे A से सुचित किया जाता है।

वर्ण विच्छेपण

स्वेत प्रकाश को अपने अव्ययी रंगो में बाँटने की घटना को वर्ण विच्छेपण कहा जाता है।

 वर्ण पट्ट या स्पेक्ट्रम

स्वेत प्रकाश को प्रिज्म से गुजरने पर प्रिज्म कि दुसरी ओर रखे पर्दे पर सात रंगो कि एक रंगीन पट्टी प्राप्त होती है जिसे वर्ण पट्ट कहते है

  • लाल रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होता है इसलिए इसका विचलन सबसे कम होता है।
  • बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है इसलिए इसका विचलन अधिक होता है।
  • तरंगदैर्ध्य को सामान्यतः(A°) से व्यक्त किया जाता है
  • आइज़क न्यूटन 1665 ईस्वी में बताया कि श्वेत प्रकाश में सात रंगों का मिश्रण होता है

श्वेत प्रकाश के साथ रंगों की तरंगदैर्ध्य सहित तालिका

    बै- बैंगनी(violet)-4000A°

    जा- जामुनी(Indigo)-4500A°

    नी- नीला(Blue)-4800A°

     ह- हरा(Green)-4800A°

     पी- पीला(Yellow)-5800A°

     ना- नारंगी(Orange)-6000A°

     ला- लाल(Red)-7900A°

PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI

    वर्णपट या स्पेक्ट्रम के प्रकार

शुद्ध वर्णपट – वह वर्ण पट्ट पर जिस पर प्राप्त सभी रंग स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है शुद्ध वर्ण पट कहलाता है।

अशुद्ध वर्ण पट – वह वर्ण पट्ट जिस पर प्राप्त सभी रंग स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं पड़ते हैं अशुद्ध वर्ण पट्ट कहलाता है।

प्रकाश का प्राथमिक वर्ण या रंग

प्रकाश का वैसा रंग जिन्हें समान अनुपात में मिलाने पर श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है अर्थात्

              लाल+ हरा+ नीला= स्वेत

द्वितीयक वर्ण

2 प्राथमिक वर्णो के मिश्रण से जो प्रकाश प्राप्त होता है उसे द्वितीयक वर्ण कहते हैं अर्थात्

        लाल+ हरा= पीला

        लाल+ नीला= मैजेण्टा

        निला+ हरा= स्याही

PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI

पूरक रंग

एक प्राथमिक और एक द्वितीयक वर्ण का ऐसा रंग जिन्हें मिलाने पर श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है पूरक वर्ण कहलाता है। पीला+ नीला= स्वेत

    मैजेण्टा+ हरा= स्वेत

    स्याही+ लाल= स्वेत

फिल्टर

ऐसा पारदर्शी पदार्थ जिससे कुछ निश्चित वर्ण के प्रकाश ही पार कर पाते हैं फिल्टर कहलाता है

PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI

इंद्रधनुष

वर्षा के बाद आकाश निर्मल एवं स्वच्छ हो जाता है किंतु वायुमंडल में वर्षा की कुछ बूंदे रह जाती है इस बिंदु पर जब सूर्य के प्रकाश का वर्ण विक्षेपण होता है तो आसमान में सात रंगों की एक रंगीन पट्टी प्राप्त होती है जिसे इंद्रधनुष कहते हैं

इंद्रधनुष के प्रकार

प्राथमिक इंद्रधनुष –वैसा इंद्रधनुष जिसके बाहरी किनारे पर लाल रंग तथा आंतरिक किनारे पर बैगनी रंग होता है उसे प्राथमिक इंद्रधनुष कहते हैं

प्राथमिक इंद्रधनुष बहुत देर तक दिखाई देता है

द्वितीयक इंद्रधनुष –वैसा इंद्रधनुष जिससे बाहरी किनारे पर बैगनी तथा आंतरिक किनारे पर लाल रंग हो उसे द्वितीयक इंद्रधनुष कहते हैं यह इंद्रधनुष जल्द ही अदृश्य हो जाता है

क्या आप जानते हैं इंद्रधनुष का निर्माण कैसे होता है

इंद्रधनुष एक प्राकृतिक घटना है जो प्रकाश के वर्ण विक्षेपण के कारण बनता है वायुमंडल में वर्षा की छोटी-छोटी बूंदों पर जब सूर्य प्रकाश पड़ता है तो जल की बूंदें एक कांच के प्रिज्म की भांति कार्य करता है तो प्रकाश हवा से जल में अपवर्तीत होता है जिसमें श्वेत प्रकाश का वर्ण विक्षेपण होता है और इंद्रधनुष का निर्माण होता है

वर्णांध

कुछ ऐसे मनुष्य होते हैं जिनके आंख के रेटिना में कुछ शंकु नहीं होता है फल स्वरुप कुछ रंगों को नहीं देख पाते हैं ऐसे मनुष्य को वर्णांध  कहते हैं

वायुमंडलीय अपवर्तन

वायुमंडल में घटने वाली प्रकाश के अपवर्तन को वायुमंडलीय अपवर्तन कहते हैं वायुमंडलीय अपवर्तन विभिन्न परी घटनाओं को जन्म देती है जैसे तारे का टिमटिमाना ग्रहण का नहीं टिमटिमाना

प्रकाश का प्रकीर्णन

जब प्रकाश अपने पथ से आने वाली किरणो से टकराती है तो प्रकाश का एक भाग भिन्न-भिन्न दिशाओं में फैल जाती है इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण ही हमें प्रकृति में अनेक आश्चर्यजनक घटनाएं देखने को मिलती है जैसे आकाश का नीला रंग , गहरे समुद्र का रंग 

रेले का नियम

प्रकिर्णित प्रकाश की तीव्रता आपतित प्रकाश के तरंग दैर्ध्य के चौथे घात का व्युत्क्रमानुपाती होता है। 

जिस रंग का तरंग धैर्य जितना ही अधिक होता है उस रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन उतना ही कम होता है ठीक इसके विपरीत कम तरंग धैर्य वाले प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक होता है

PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI

कोलाइड

किसी माध्यम में छोटे-छोटे कण लटके हो या तैर रहे हो उस लटके या तैर रहे कण को कोलाइड कहते हैं जैसे दूध एक कोलाइड है जिसमें छोटे छोटे वसा के कण तैरते हुए दिखाई देते हैं

टिंडल प्रभाव

कोलाइड कणों से प्रकाश के प्रकीर्णन के घटना को टिंडल प्रभाव कहते हैं

इंद्रधनुष सुबह के समय पश्चिम तथा शाम के समय पूर्व दिखाई देता है क्यों ?

हम जानते हैं कि इंद्रधनुष की रचना तब होती है जब वर्षा के बादल सूर्य के सामने होती है क्योंकि सुबह में सूर्य का प्रकाश पूरब में उगता है अतः इंद्रधनुष पश्चिम में दिखाई देता है और शाम में सूर्य पश्चिम में आ जाता है तो इंद्रधनुष पूर्व में दिखाई देता है

मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

सूर्योदय के समय सूर्य लाल क्यों प्रतीत होता है

सूर्योदय के समय सूर्य क्षैतिज के निकट स्थित होता है जिससे प्रकाश को वायुमंडल में अधिक चलना पड़ता है लाल रंग का तरंग धैर्य सबसे अधिक होने के कारण इसकी किरण बहुत कम बिखेरती  है और श्वेत रंग वायुमंडल में बिखर जाता है जिसके कारण लाल प्रतीत होता है

मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

दोपहर के समय सूर्य सफेद क्यों दिखाई पड़ता है

दोपहर के समय सूर्य की दूरी अपेक्षाकृत कम होता है और लगभग सभी रंगों का प्रकाश हमारे आंखों तक पहुंचती है जिसके कारण दोपहर के समय सूर्य सफेद दिखाई पड़ता है

मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

तारे क्यों टिमटिमाते हैं

रात में तारे टिमटिमाते नजर आते हैं क्योंकि वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे से निकलने वाला प्रकाश क्रमिक रूप से घटता बढ़ता है आंख तक पहुंचने वाली तारे से निकलने वाली प्रकाश बढ़ता है तो तारा चमकीला प्रतीत होता है लेकिन वही तारे का प्रकाश घटता है तो तारा धुंधला दिखाई देता है जिससे तारे हमें टिमटिमाते नजर आते हैं

मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते हैं ?

 ग्रह पृथ्वी से काफी नजदीक है इन से आने वाली प्रकाश की किरण का अपवर्तन होता है परंतु हमारे आंखों में प्रवेश करने वाली प्रकाश की मात्रा में पूर्ण परिवर्तन का औसत अनुमान लगभग शून्य हो जाता है इसलिए ग्रह नहीं टिमटिमाते हैं

मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

खतरे का सिग्नल लाल क्यों बनाया जाता है

लाल रंग का तरंग दैर्ध्य अधिक होने के कारण इसका वायु के सूक्ष्म कणों द्वारा कोहरे या धुए में प्रकिर्णनीत नहीं होता है और यह काफी दूर तक गमन करता है जिससे इसे काफी दूर से देखने पर लाल दिखाई देता है

मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों दिखाई देता है ?

अंतरिक्ष यात्री काफी ऊंचाई पर होते हैं जहां वायु का अभाव होता है जिससे दृश्य प्रकाश के किस रंग का प्रकीर्णन नहीं होता है इसलिए अंतरिक्ष यात्री को आकाश काला दिखाई देता है

मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

आकाश का रंग नीला होता है क्यो?

आकाश का रंग नीला दिखाई देना वायुमंडल में उपस्थित धूल कण के द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन होता है क्योंकि हम जानते हैं कि कम तरंग दैर्ध्य वाले प्रकाश का प्रकीर्णन सर्वाधिक होता है यही कारण है कि आसमान का रंग नीला दिखाई देता है

मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

बादल सफेद क्यों दिखाई देता है ?

चुकि बादलों में जल के बड़े-बड़े बूंद होता है प्रकाश का प्रकीर्णन कणो के आकार पर निर्भर करता है बादल के बड़े-बड़े बूंदों द्वारा सभी रंगों के प्रकाश का प्रकीर्णन समान होता है जिसके कारण बादल का रंग सफेद दिखाई देता है |

Also Read: Physics Class 10 Chapter 1 Notes in Hindi

Leave a Comment