Chemistry class 9th chapter 4 in Hindi |परमाणु की संरचना (Structure of Atom) Best science notes

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Chemistry class 9th chapter 4 in Hindi

Chemistry class 9th chapter 4 in Hindi
Chemistry class 9th chapter 4 in Hindi

हम आपके लिए इस chapter परमाणु की संरचना(Structure of Atom) में कम समय में परिक्षा की तैयारी करने के लिए शाँट नोट्स लाए है। जिनसे आप अपनी परिक्षा की तैयारी कम से कम समय में कर पायेंगे । इस पोस्ट में हमने इस chapter का हरेक point को आसान भाषा में cover कियें है जो आप कभी नहीं भुल पाएंगे |

मौलिक कण (Fundamental particle)

परमाणु का वह सूक्ष्म कौन जिनसे मिलकर उनकी संरचना होती है मौलिक कण कहलाते हैं जैसे इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन

इलेक्ट्रॉन (Electron)

किसी परमाणु का वह सुक्ष्म कण या मौलिक कण जो उसके नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करता है और जिसके ऊपर  इकाई ऋण आवेश रहता है उसे इलेक्ट्रॉन कहते हैं इसे e- द्वारा सुचित किया जाता है। इलेक्ट्रॉन का अविष्कार जे जे थॉमसन ने 1807 ईस्वी में किया था |

इलेक्ट्रॉन के गुण

  • इलेक्ट्रॉन पर इकाई ऋण आवेश रहता है जिसका मान 1.6 x 10-⁹ कूलंब होता है
  • एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 0.0005 होता है
  • इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करता है

कैथोड़ किरणें

ऋण आवेशित कणों से बने किरण को कैथोड किरण कहते हैं |

कैथोड़ किरण का गुण

  • यह किरणें सीधी रेखा में गमन करती है
  • इन किरणों में गतिज ऊर्जा होती है
  • यह किरणें ऋण आवेशित कणों से बनी होती है
  • यह किरण फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती है

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प्रोटॉन(Proton)

किसी परमाणु का वह सुक्ष्म कण या मौलिक कण जो उसके नाभिक में उपस्थित रहता है और जिसके ऊपर धन आवेश रहता है उसे प्रोटॉन कहते  हैं इसे P द्वारा सूचित किया जाता है प्रोटॉन का अविष्कार 1886 ईसवी में गोल्डस्टीन ने किया था एक प्रोटॉन पर धन आवेश 1.6 x 10-⁹ कूलंब होता है |

एनोड़ किरण

धन आवेशित कणों से बने किरण को एनोड किरण कहते हैं

न्युट्रॉन(Neutron)

किसी परमाणु का वह सक्ष्म कण जो नाभिक में प्रोटॉन के साथ रहता है और जिसके ऊपर कोई आदेश नहीं रहता है उसे न्यूट्रॉन कहते हैं इसे n द्वारा सूचित किया जाता है न्यूट्रॉन का अविष्कार 1932 ईस्वी में जेम्स चैडविक ने किया था |

न्यूट्रॉन उदासीन कण है जिस पर कोई आवेश नहीं रहता है

न्यूट्रॉन का निरपेक्ष द्रव्यमान 1.675×10-²⁴ ग्राम होता है

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थॉमसन का परमाणु मॉडल

इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन के अविष्कार के बाद जे जे थॉमसन ने 1903 ईस्वी से 1904 ईसवी में परमाणु का एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसे थॉमसन का परमाणु मॉडल कहा जाता है इस मॉडल के अनुसार

  • परमाणु एक गोलाकार गेंद की तरह है
  • परमाणु एक धन आवेशित कण का बना होता है और इलेक्ट्रॉन उसमें धंसे होते हैं
  • ऋणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं इसलिए परमाणु विद्युत रूप से उदासीन होता है

नाभिकिय सिद्धांत

अल्फा कण प्रकीर्णन के आधार पर रदरफोर्ड महोदय ने एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया जिसे नाभिकिय सिद्धांत कहते हैं इस सिद्धांत के अनुसार

परमाणु का अधिकांश भाग खाली होता है क्योंकि अधिकांश अल्फा कण बिना विचलित हुए सोने के पतले पत्रों से सीधे पार हो जाता है |

कुल अल्फ कण अपने पथ से विचलित हो जाते हैं जिससे यह ज्ञात होता कि परमाणु में धन आवेशित भाग बहुत कम है |

बहुत कम अल्फा कण अपने पथ पर वापस लौट आते हैं |

थॉमसन के परमाणु मॉडल का दोष

थॉमसन के मॉडल से परमाणु के विद्युत उदासीन होने की व्याख्या हो गई लेकिन दूसरे वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रयोगों के परिणामों में उस मॉडल के द्वारा समझाया नहीं जा सका

उर्जास्तर

इलेक्ट्रॉन वृताकार पर चक्कर काटता है उन्हें कक्षा कहते हैं कक्षों को क्रमशः K L M N इत्यादि से दर्शाया जाता है |

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कोर इलेक्ट्रॉन

किसी तत्व के परमाणु की बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रॉन को छोड़कर शेष भीतरी कक्षा के कुल इलेक्ट्रॉन कोर इलेक्ट्रॉन कहते हैं जैसे Cl(17)=2,8,7 अब इसमे कोर इलेक्ट्रान = 2+ 8 = 10 |

परमाणु संख्या (Atomic number)

एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटोन की कुल संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं इसे z द्वारा सूचित किया जाता है अर्थात परमाणु संख्या परमाणु के नाभिक में उपस्थित कुल प्रोटोन की संख्या होती है |

परमाणु द्रव्यमान (Atomic mass)

परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की कुल संख्या के योग को द्रव्यमान संख्या कहते हैं इसे A द्वारा सूचित किया जाता है |

A=p+n

समस्थानिक(Isotopes)

एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होती है समस्थानिक कहलाता है

जैसे हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं प्रोटियम (सरल हाइड्रोजन) ड्युटिरियम (भारी हाइड्रोजन) ट्राइडियम (सबसे भारी जल)

समस्थानिक का उपयोग

  • कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक का उपयोग किया जाता है
  • परमाणु भट्टी के ईंधन के रूप में
  • घेंघा रोग के इलाज में आयोडीन समस्थानिक का उपयोग होता है
  • अस्थि रोग को दूर करने में फास्फोरस का समस्थानिक का उपयोग होता है

सम्भारिक (Isobars)

समान परमाणु संख्या वाले तत्वों को जिसकी द्रव्यमान संख्या समान होता है समभारिक कहलाता है |

समस्थानिक तथा समभारिक में अंतर

समस्थानिक –

  • इसमें परमाणु संख्या समान होती है
  • इसमें द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होती है
  • इसमें एक ही तत्वों के दो परमाणु होते हैं
  • इसमें संयोजी इलेक्ट्रॉन समान होते हैं
  • समस्थानिको के रासायनिक गुण समान होते हैं
  • एक ही तत्व के सभी समस्थानिकों को आवर्त सारणी में एक ही स्थान दिया गया है

सम्भारिक –

  • इसमें परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न होती है
  • इसमें द्रव्यमान संख्या समान होती है
  • इसमें दोनों तत्व अलग-अलग होते हैं
  • संयोजी इलेक्ट्रॉन भिन्न भिन्न होते हैं
  • समभारिक को आवर्त सारणी में भिन्न-भिन्न स्थान दिया गया है
  • समभारिकों रसायनिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं

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