Biology class 9th chapter 2 Notes in Hindi : कोशिकाओं का ऐसा समूह जो किसी विशेष कार्य को करता है उत्तक कहलाता है | BSEB Class 9th chapter 2 Notes in Hindi: उत्तक (Tissue)
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Biology class 9th chapter 2 Notes in Hindi
हम आपके लिए इस chapter उत्तक(Tissue) में कम समय में परिक्षा की तैयारी करने के लिए शाँट नोट्स लाए है। जिनसे आप अपनी परिक्षा की तैयारी कम से कम समय में कर पायेंगे । इस पोस्ट में हमने इस chapter का हरेक point को आसान भाषा में cover कियें है जो आप कभी नहीं भुल पाएंगे |
उत्तक(Tissue)
कोशिकाओं का ऐसा समूह जो किसी विशेष कार्य को करता है उत्तक कहलाता है जैसे पेशियाँ रक्त फ्लोएम जाइलम इत्यादि |
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उत्तक के प्रकार
1. पादप उत्तक(Plant tissue) 2. जन्तु उत्तक(Animal tissue)
जन्तु उत्तक के प्रकार
एपिथिलियम उत्तक – वैसा उत्तक जो शरीर के बाहरी तथा भीतरी रक्षक आवरण बनाता है तथा जो शरीर के सभी अंगों जैसे मुख गुहा फेफड़े आहार नली हृदय इत्यादि के भीतरी और बाहरी सतह पर पाए जाते हैं एपिथीलियम ऊतक कहलाते हैं
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एपिथीलियम ऊतक के कार्य
- उत्सर्जन में सहायक होती है
- इन उत्तको के कोशिकाएं तंत्रिका आवेगो को ग्रहण करती है
- इन उत्तको में पाई जाने वाली ग्रंथियां विशेष पदार्थों का स्राव करती है
संयोजी उत्तक – वैसा उत्तक जो शरीर के अंगों अथवा संरचनाओं को जोड़ने का कार्य करता है संयोजी उत्तक कहलाता है |
संयोजी उतक का कार्य
- यह उत्तक अंगों और शारीरिक संरचनाओं को जोड़ता है
- यह घायल और बेकार ऊतकों को हटाता है
- शरीर के कंकाल की भी रचना करता है
पेशिय उतक – वे उत्तक जो संकुचनशील रेशों के मिलने से बने होते हैं और जिनमें मैट्रिक्स का अभाव होता है पेशीय उत्तक कहलाता है |
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अरेखित पेशीया रेखित पेशीया तथा हृदय की पेशियों में अंतर
अरेखित पेशियां –
- यह पाचन नली की भितियों मुत्राशय और रक्त वाहिनीयों में पाई जाती है
- यह नलिकाओं के समूहों की तरह दिखाई पड़ती है
- यह लंबी और तर्कु के आकार की होती है
- इनमें सार्कोलीमा नहीं पाई जाती है
- इनकी कोशिकाओं में एक-एक केंद्रक पाए जाते हैं जो मध्य में व्यवस्थित होते हैं
- यह अनैच्छिक होती है
- यह पेशियाँ चकती नहीं है
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रेखीत पेशियां –
- यह हाथ पैर में पाई जाती है
- यह बंडलों के रूप में होती है
- यह लंबी बेलनाकार होती है
- सार्कोलीमा पाई जाती है
- इनमें बहुत से केंद्र पाए जाते हैं जो परिधि की ओर होते हैं
- यह ऐच्छिक होती हैं
- ये शिघ्र थक जाती है।
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हृदय की पेशियां –
- यह हृदय में पाई जाती है
- यह संजाल के रूप में होती है
- यह छोटी बेलनाकार और शाखित होती है
- सार्कोलीमा के साथ प्लाज्मा झिल्ली भी पाई जाती है
- इनमें एक या अधिक केंद्रक मध्य भाग में पाई जाती है
- यह अनैच्छिक होती है
- यह लगातार क्रियाशील होती है और कभी भी थकती नहीं है
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तंत्रिका उत्तक – न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की रचनात्मक और कार्यात्मक इकाई है जिसे न्यूरॉन कहते हैं इसके निम्नलिखित भाग होते हैं साइटॉन डेन्ड्रॉन डेन्ड्राइट तथा एक्सॉन
संयोजी उतक के प्रकार
कंकाल उतक – वैसा संयोजी उत्तक जो शरीर के अंतः कंकाल और ढांचे का निर्माण करता है कंकाल उत्तक कहलाता है |
कंकाल उतक का कार्य
- यह उत्तर शरीर को निश्चित आकार प्रदान करता है
- यह नाजुक आंतरिक अंगों जैसे मस्तिष्क हृदय और फेफड़े की सुरक्षा करता है
- यह चलने फिरने और शरीर की अन्य गतियों में सहायक होता है
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कंकाल उत्तक के प्रकार
अस्थि कंकाल उतक – वैसा कंकाल उत्तक जो बहुत कठोर होता है अस्थि कहलाता है इसमें कैल्शियम फास्फोरस तथा मैग्नीशियम पाए जाते हैं कैलशियम कार्बोनेट के कारण अस्थि मजबूत होता है |
- अस्थियों के अंदर अस्थि मज्जा पाए जाते हैं जिनके कारण शरीर में रक्त का निर्माण होता है
उपास्थि कंकाल उत्तक – वैसा कंकाल उत्तक जो अस्थि उत्तक के अपेक्षा मुलायम एवं लचीला होता है उपास्थि कहलाता है यह उत्तर हड्डियों के जोड़े पर नाक कान इत्यादि में पाए जाते हैं |
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अस्थि तथा उपास्थि में अंतर
अस्थि कंकाल
- यह मजबूत एवं कठोर होता है
- इसमें कैल्शियम कार्बोनेट पाए जाते हैं
- इसमें रक्त की आपूर्ति होती है
उपास्थि कंकाल
- यह मजबूत परंतु लचीला होता है
- इसमें कैल्शियम कार्बोनेट नहीं पाया जाता है
- इसमें रक्त की आपूर्ति नहीं होती है
स्नायु या कण्डरा उत्तक
वैसा संयोजी उत्तक जो लचीला और मजबूत तंतु है जो एक हड्डी को दूसरे हड्डी से जोड़ता है जबकि वह संयोजी उत्तक जो शक्तिशाली परंतु कम लचीली तंतु होते हैं जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने का कार्य करते हैं कंडरा कहलाता है
तरल संयोजी उतक
वे उत्तक जो विभिन्न पोषक पदार्थों एवं उत्सर्जी पदार्थ का शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक परिवहन करता है तरल संयोजी उत्तक कहलाता है |
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रक्त(Blood)
वैसा संयोजी उत्तक जो तरल रूप में पाई जाती है तथा जो विभिन्न प्रकार की पदार्थों को पूरे शरीर में हृदय के द्वारा संचालन करती है रक्त कहलाता है
R.B.C(Red blood cell)
लाल रक्त कोशिकाएं शरीर में श्वसन गैसों का परिवहन करती है इसलिए इसे ऑक्सीजन का वाहक भी कहते हैं इसमें एक विशेष प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं इसी प्रोटीन के कारण आरबीसी लाल होता है
W.B.C(White blood cell)
श्वेत रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन जैसे रंग नहीं पाए जाते हैं जिसके कारण यह रंगहीन होता है इस प्रकार कणिकाएं बाहर से आने वाले जीवाणुओं और विषाणुओं को शरीर का सिपाही भी कहते हैं।
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प्लेटलेट्स
इस प्रकार की कणिकाएं रक्त को थक्का बनाने में कार्य करता है जिसकी संख्या मानव के रक्त में लगभग 3 लाख प्रति mm³ पाए जाते हैं |
रक्त के कार्य (Function of blood)
- यह पचे हुए भोजन के अणुओं को कोशिका तक परिवहन करता है
- यह कार्बनडाईऑक्साइड तथा ऑक्सीजन का परिवहन करता है
- यह उत्सर्जित पदार्थों का परिवहन करता है
- यह रक्त के तापमान को नियंत्रित करता है
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लसिका या लिम्फ
वह तरल संयोजी उत्तक जो मुख्यतः वसा का परिवहन करता है और जिसमें हीमोग्लोबिन नहीं पाया जाता है वसा कहलाता है |
लसिका के कार्य (Function of lymph)
- यह कोशिका के बीच पदार्थों के परिवहन में सहायक होता है
- इससे होकर वसा का परिवहन होता है
- यह शरीर की जीवाणु संक्रमण से रक्षा करती है
रक्त तथा लसिका में अंतर
रक्त –
- यह लाल होता है
- इसमें हीमोग्लोबिन पाए जाते हैं
- इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है
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लसिका –
- यह रंगहीन होता है
- इसमें हिमोग्लोबिन नहीं पाया जाता है
- इसमें प्रोटीन की मात्रा कम पाई जाती हैं
पादप उत्तक के प्रकार
विभाज्योतक –
वे उत्तक जिनकी कोशिकाएं नियंत्रण विभाजित होकर पौधे की लंबाई और मोटाई में वृद्धि करती है विभाजीय उत्तक कहलाती है |
विभाज्योतक की विशेषता
- इस उत्तक की कोशिकाएं या तो गोलाकार या बहुभुज आकार होती है
- इसकी कोशिका भित्ति सेलुलोज की बनी होती है
- इस उत्तक के कोशिकाओं में भरा हुआ जीव द्रव्य बहुत गाढा होती है
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विभाज्योतक के प्रकार
शीर्षस्थ विभाज्योतक – वे विभाज्योतक जो तने अथवा पेड के शीर्ष भाग में पाया जाता है और जो पौधो के लंबाई में वृद्धि करता है शीर्षस्थ विभाज्योतक कहलाता है |
पाशर्व विभाज्योतक – वे विभाज्योतक जो पौधों के पार्श्व भागों में पाए जाते हैं और जिनकी विभाजनशीलता के कारण पौधों में द्वितीय वृद्धि होती है पार्श्व विभाज्योतक कहलाता है |
अन्तर्वेशी विभाज्योतक – वे उत्तक जो पौधों में पतियों के वृन्तों के पास एवं पौधों के पत्तों में पाए जाते हैं जिनकी कोशिकाओं की विभाजन में फल स्वरुप शाखाएँ बनती है |
स्थायी उत्तक (Permanent tissue)
विभाज्योतक में कोशिका विभेदन की क्रियाओं के बाद कोशिका की विभाजन क्षमता समाप्त हो जाती है और धीरे-धीरे उनकी आकृति आकार और कार्य स्थाई हो जाती है ऐसी कोशिका को स्थाई उत्तक कहते हैं |
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स्थाई उत्तक के प्रकार
जटिल स्थाई उत्तक – वे उत्तक जो जीवित और मृत कोशिकाओं को मिलाकर कई प्रकार की कोशिकाओं के मिलने से बने होते हैं जटिल स्थाई उत्तक कहलाता है जैसे जाइलम और फ्लोएम |
जाइलम (Xylem)
वैसे उत्तक जो जड़ से प्रारंभ होकर तने शाखाओं एवं पतियों तक होते हैं तथा जो पूरे पौधों में नीचे से ऊपर की दिशा में जल का परिवहन करते हैं जाइलम उत्तक कहलाता है |
फ्लोएम (Phloem)
वैसा संवहन उत्तक जो पौधे में भोजन का परिवहन करता है फ्लोएम उत्तक कहलाता है |
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फ्लोएम उत्तक के प्रकार
चालनी नलिका – फ्लोएम उत्तक में पाई जाने वाली बेलनाकार नलिका है जो ऊपर नीचे की दिशा में एक दूसरे से जुड़ी रहती है और इनमें केंद्रक नहीं पाई जाती है चालनी नलिका कहलाती है |
शखी कोशिकाएँ – फ्लोएम उत्तक की चालनी नलिकाओं के साथ जुड़ी हुई केंद्र युक्त कोशिकाएं जो भोजन के परिवहन में चालनी नलिकाओं की सहायता करती है शखी कोशिकाएँ कहलाती है |
फ्लोएम तंतु – जाइलम रेशे से मिलते जुलते दृढ़ उत्तक के रेशे जो फ्लोएम में पाए जाते हैं और उसे मजबूती प्रदान करते हैं फ्लोएम तंतु कहलाता है |
विशिष्ट स्थाई उत्तक – ऐसे उत्तक जो विशेष रासायनिक पदार्थों का रिसाव करते हैं विशिष्ट स्थाई उत्तक कहलाता है जैसे लेटीसीफेरस और ग्रंथिल जो उत्तक दुध जैसे पदार्थ का स्राव करता है उसे लेटीसीफेरस कहा जाता है तथा जो तेल या रेजीन जैसे पदार्थो का स्राव करते है उसे ग्रंथिल कहा जाता है।
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