Biology Class 10th Chapter 2 Notes in Hindi | नियंत्रण एवम समन्वय (Control and Co-ordination) Best Biology notes in Hindi

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Biology Class 10th Chapter 2 Notes in Hindi

Biology Class 10th Chapter 2 Notes in Hindi
Biology Class 10th Chapter 2 Notes in Hindi

हम आपके लिए इस chapter नियंत्रण एवम समन्वय (Control and Coordination) में कम समय में परिक्षा की तैयारी करने के लिए शाँट नोट्स लाए है। जिनसे आप अपनी परिक्षा की तैयारी कम से कम समय में कर पायेंगे । इस पोस्ट में हमने इस chapter का हरेक point को आसान भाषा में cover कियें है जो आप कभी नहीं भुल पाएंगे |

नियंत्रण एवम समन्वय

किसी गती क्रिया अथवा अनुक्रिया को वांछित स्तर तक बनाए रखना नियंत्रण और इस दौरान अंगो कि क्रियाओ के बीच ताल-मेल स्थापित करना समन्वय कहलाता है।

Biology Class 10th Chapter 2 Notes in Hindi

पादप हार्मोन

वे जटील रासायनिक पदार्थ जिनका संश्लेषण पौधों के विभिन्न भागों मे होता है जीससे वृद्धि विकास पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वय में सहायक होता है पादप हार्मोन कहलाता है। जैसे ऑक्सिन जीबरेलीन एव्सेसिक एसीड़ साइटोकायनिन कैटीन फ्लोरिजेन्स ट्राउमेटीन

पादप हार्मोन के कार्य

जड़ तथा पतियों कि वृद्धि को नियंत्रित करना फलो को खिलाना तथा फलो को पकाना बीजो की प्रसुस्ती भंग करना वातरंध्रो कि गतियो का नियंत्रित करना

उद्दीपन

पर्यावरण मे हो रहे वे परिवर्तन जिसके अनुरूप सजीव अनुक्रिया करते है उद्दीपन कहलाता है। जैसे प्रकाश ठंडा ध्वनी स्पर्श सुगंध इत्यादि

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ऑक्सिन हार्मोन

वैसा पादप हार्मोन जो वृद्धि को नियंत्रित करता है ऑक्सिन हार्मोन कहलाता है ऑक्सिन हार्मोन की खोज 1928 ईस्वी में FW वेन्ट नामक वैज्ञानिक ने किया था

ऑक्सिन हार्मोन का कार्य

यह बीजों के अंकुरण को बढ़ाता है यह बिजहीन फलों के विकास में सहायता करता है यह जाइलम उत्तको के विकास में सहायक होता है

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जिबरेलिन

वैसा पादप हार्मोन जो बढ़ते हुए तना एवं जोड़ों के अग्रस्त भागों में पाए जाते हैं जिबरेलीन हार्मोन कहलाता है जिबरेलिन हार्मोन की खोज टी० याबुता सुमिकी तथा टीo हयाशी नामक वैज्ञानिकों ने किया था इसमें 36 हार्मोन पाए जाते हैं

जिबरेलिन हार्मोन का कार्य

यह पतियों और फूलों की वृद्धि में सहायक होता है यह बीजों की प्रस्तुति को भंग कर देता है यह बिजहीन दिन फलों के विकास में सहायक होता है

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 एब्सेसिक एसीड

वे पादप हार्मोन जो हरित लवक में बनता है तथा पौधे के किसी भी भाग में विशेष रुप से पत्तियों फलो बीजों में पाया जाता है एब्सेसिक एसीड कहलाता है इसकी खोज डब्लू सी ल्यु तथा HR कार्न्स नामक वैज्ञानिक ने 1960 ईस्वी में कपास के पौधों से इस हार्मोन को निकाला था

एब्सेसिक एसिड का कार्य

पतझड़ को नियंत्रित करता है तथा फलों एवं पतियों को पौधे से अलग करता है

साइटोकायनिन हार्मोन

यह वृधि उत्प्रेरक हार्मोनो का समूह है इस समूह के सभी हार्मोन कार्बनिक पदार्थ होते हैं

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साइटोकायनिन हार्मोन के कार्य

यह बीजों के अंकुरण में सहायक होता है यह हार्मोन आर एन ए के उत्पादन में सहायता करता है यह हार्मोन पार्श्व

कणिकाओं की वृद्धि में सहायक होता है

कैलीन हार्मोन

वैसा हार्मोन जो पादप अंगो की वृद्धि और क्रियाशीलता को नियंत्रित करता है कैलीन हार्मोन कहलाता है

फ्लोरीजेन्स हार्मोन

वैसा पादप हार्मोन जो पत्तियों में बनता है परंतु फूलों के बनने एवं खिलने में सहायक होता है फ्लोरीजेन्स हार्मोन कहलाता है

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ट्राउमेटिन हार्मोन

यह हार्मोन एक प्रकार का कार्बोक्सिलिक अम्ल होता है जिसे ट्राउमेटिन कहा जाता है यह घायल कोशिकाओं में उत्पन्न होता है यह चोट वाले स्थान के पास कोशिकाओं में कोशिका विभाजन को उत्प्रेरित करता है

अनुक्रिया

जंतुओं या पौधों में किसी यांत्रिकी या बाध्य कारक के कारण जो आंतरिक या बाध्य परिवर्तन हो जाता है उसे अनुक्रिया कहते हैं

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अनुवर्तन

पौधे के भागों का बाध्य उद्दीपन की दिशा में गति करना अनुवर्तन कहलाता है पादप कोशिकाएं जल त्याग कर अथवा जल को सोखकर अपनी आकृतियों को बदल लेती है

प्रकाश अनुवर्तन

पौधा को सूर्य के प्रकाश की ओर बढ़ना या गति करना प्रकाश अनुवर्तन कहलाता है

गुरुत्व अनुवर्तन

पौधों की जड़ों का पृथ्वी के गुरुत्व की दिशा में बढ़ना गुरुत्व अनुवर्तन कहलाता है

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जल अनुवर्तन

पौधों के जड़ों का जल स्रोत की दिशा में बढ़ना जल अनुवर्तन कहलाता है

नास्टिक गतियाँ

ऐसी गतियां जो किसी प्रकाश के उद्दीपन से स्वतंत्र होती है नास्टिक गतियां कहलाती है

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अनुकुंचन

हाथ से छूने पर या सूर्य के डूबने पर कुछ पौधों के पत्तियों का संकुचित अनुकुंचन कहलाता है जैसे आंवला चिरायता अमलतास ऐसे पौधे जिन की पत्तियां सूर्य के डूबते ही संकुचित होने लगती है जबकि छुईमुई लाजवंती की पत्तियां हाथ से स्पर्श करने पर मुरझा जाती है

दीप्तिकालीता

पौधों में फूलों का खिलना बीजों का अंकुरण इत्यादि सूर्य प्रकाश के अवधि पर निर्भर करता है इस घटना को दीप्तिकालीता कहते हैं

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फाइटोक्रोम

दिप्तीकालीता एक विशेष रासायन से होती है जिसे फाइटोक्रोम कहते है।

तंत्रिका तंत्र

मस्तिष्क मेरुरज्जु तथा तंत्रिकाओं के सम्मिलित रूप को तंत्रिका तंत्र कहते हैं

आवेग

जब शरीर के किसी भाग में बाहरी और भीतरी कारणों से कोई विक्षेप उत्पन्न होता है तब वह विक्षेप उस भाग में अवस्थित संवेदीत तंत्रिका द्वारा ग्रहण करके आगे बढ़ा दिया जाता है आवेग कहलाता है

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ग्राही अंग

उद्दीपन में ग्रहण करने वाले अंग को ग्राही अंग कहते हैं

प्रकाश ग्राही – आँख  ध्राण ग्राही – नाक

श्रवण ग्राही – कान    ताप ग्राही – त्वचा

रस संवेदी ग्राही – जीभ

रीढ़ रज्जु

मनुष्य एवं उच्च श्रेणी के जंतुओं के मस्तिष्क से एक मोटी रस्सी जैसी रचना रीढ़ के अंदर से होकर रीढ़ के अंतिम छोर तक जाती है रीढ़ रज्जू कहलाती है

तंत्रिका कोशिका

तंत्रिका तंत्र की रचनात्मक और कार्यात्मक इकाई को तंत्रिका कोशिका( न्यूरॉन) कहते हैं न्यूरॉन मानव शरीर की बड़ी कोशिका होती है

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तंत्रिका कोशिका के भाग

डेन्ड्राइट –एक खोखली एवं रोमवत रचनाए होती है जो साइटॉन से जुड़ी रहती है यह रचनाएं विद्युत आवेगो को ग्रहण करके उन्हें साइटॉन को दे देता है

साइटॉन –साइटॉन तारे की आकार की रचना है जिसके बीचो बीच एक केंद्रक पाया जाता है केंद्रक के चारों ओर कोशिका द्रव्य भरा रहता है

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एक्सॉन –न्यूरॉन का सबसे लंबा हिस्सा होता है जो संवेदनाओं को साइटॉन से ग्रहण करके उन्हें अंतिम छोर तक भेजता है

द्विध्रुवीय न्युरॉन –जिस न्यूरॉन में एक डेन्ड्राइट और एक एक्सॉन होता है द्विध्रुवीय न्यूरॉन कहलाता है

न्यूरॉन के प्रकार

संवेदी तंत्रिका कोशिका प्रेरक तंत्रिका कोशिका तथा अंतरा तंत्रिकाणु

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एच्छिक क्रियाएँ

ऐसी क्रियाओं जो शरीर में इच्छाओं के अनुसार होता है एच्छिक क्रियाएं कहलाता है जैसे टहलना खाना दौड़ना बैठना इत्यादि

अनेच्छिक क्रियाएँ

वैसे क्रियाएं जो शरीर में अपने आप होती रहती है और इन पर जीवो की इच्छा का कोई नियंत्रण नहीं होता है अनेच्छिक क्रियाएं कहलाती है जैसे पलको का झपकना छिंक आना डर जाना चौक जाना ये क्रियाएँ प्रायः मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित कि जाती है।

प्रतिवर्ती क्रियाएँ

जीव धारियों में किसी दृश्य या अदृश्य बाध्य अथवा भीतरी उद्दीपन के प्रभाव में होने वाले अनेच्छिक क्रियाएं जिनका संचालन एवं समन्वय प् प्रायःमेरुरज्जु के तंत्र का द्वारा होता है प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है

प्रतिवर्ती चाप

आवेगो का संचरण जिस मार्ग से होता है उसे प्रतिवर्ती चाप कहते हैं प्रतिवर्ती चाप के 5 घटक होते हैं

ग्राही अंग   संवेदी तंत्रिका   तंत्रीका केन्द्र  प्रेरक तंत्रिका अभिवाही अंग कि पेशी

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मानव मस्तिष्क

मानव मस्तिष्क शरीर की सबसे महत्वपूर्ण संरचना है जो सम्पूर्ण शरीर के गतिविधियो एवं प्रतिक्रियाओ का नियंत्रण एवं समन्वय करता है यह एक कोमल रचना है जो खोपड़ी के भीतर मस्तिष्क कोष के भीतर सुरक्षित रहता है मानव मस्तिष्क कहलाता है

मस्तिष्क के भाग

प्रमस्तिष्क – यह मस्तिष्क का उपरी तथा सबसे बडा भाग होता है जो सम्पूर्ण भाग के ⅔ भाग मे फैले रहता है इसके अंदर का भाग करोड़ो र् तंत्रिका से बनी बाहरी परत से ढका रहता है जिसे प्रमस्तिष्क बलकुट कहते है इस बलकुट पर श्रवण दृष्टि गंध स्पर्श बातचीत आदि के लिए अलग अलग निर्देश बिन्दू होते है।

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प्रमस्तिष्क के कार्य

  • मांसिक क्रियाएँ नैतिक ज्ञान और अध्ययन से संबंधित क्षमताएँ उत्पनन करना ।
  • संवेदनाओं जैसे दर्द गर्मी स्पर्श प्रकाश कि अनुभुति स्वाद और गंध का ज्ञान कराना ।
  • स्वैच्छिक पेशियों का सक्रिय बनना और उनकी क्रियाओ को नियंत्रित करना l

अनुमस्तिष्क– यह सिर के पीछे नीचे की ओर स्थित भाग होता है जिनका निचला भाग लंबा सिरा मेरुरज्जु से जुड़ा रहता है यह मुख्यत पेशिये गतियों को नियंत्रित करता है तथा शारीरिक संतुलन बनाए रखने का कार्य करती है साइकिल चलाना पेंसिल उठाना शरीर का संतुलन इत्यादि

शराबी व्यक्तियो में शराब का नशा का सबसे अधिक प्रभाव अनुमस्तिष्क पर पड़ता है।

मेडुला अबलागेंटा– यह मस्तिष्क का आधारीय भाग है जो मेरुरज्जु से जुड़ा रहता है यह मस्तिष्क के सतह पर होता है जो हृदय की धड़कन रक्त परिसंचरण स्वसन लार का स्राव एवं निगलने की क्रियाओं का नियमन करता है

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मानव मस्तिष्क का कार्य

  • मानव मस्तिष्क सभी संवेदी अंगो से आवेगो को ग्रहण करता है एवं ग्रहण किए गए आवेगो का विश्लेषण करता है।
  • यह सभी प्रकार का ज्ञान एवं चेतना संबंधी सुचनाओं का संग्रह करता है।
  • यह ग्रहण किए गए आंवेगो को प्रेरक तत्रिका के माध्यम से पेशियो और ग्रंथियो में भेजता है जिसके फलस्वरूप अंतः क्रिया होती है ।

मेरुरज्जु

मेडुला आब्लांगेटा के नीचले छोर से एक कोमल रस्सी जैसी रचना मेरुदण्ड के बीचो बीच से होती हुई अंतिम नीचले छोर तक जाती है जिसे मेरुरज्जु कहते है।

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मेरुरज्जु के कार्य

  • यह मस्तिष्क तक आवेगो को पहुँचाने एवं उन्हें मस्तिष तक लाने का कार्य करती है।
  • यह प्रतिवर्ती क्रियाओ के केन्द्र के रूप मे कार्य करती है ।
  • मेरुरज्जु से 31 जोड़ी मेरुतत्रिकाएँ निकलती है।
  • मेरुरज्जु के अंदर सेरिब्रोस्पाइनल द्रव भरी रहती है।

मस्तिष्क की सुरक्षा

मस्तिष्क कोमल रचना होती है यह शरीर की समस्त क्रियाओं और प्रक्रमों का नियंत्रण करता है मस्तिष्क एक कठोर कवच के अंदर बंद रहता है जो हड्डियों का बना होता है खोपड़ी के अंदर मस्तिष्क एक तरल से भरी गोलाकार रचना में बंद रहती है इसके चारों ओर पाए जाने वाले तरल आघात से मस्तिष्क की रक्षा करते हैं

हार्मोन

वैसा रासायनिक पदार्थ है जो जीव धारियों के शरीर में स्वतः संश्लेषण होते रहते हैं और जो जैविक क्रियाओं पर नियंत्रण के साथ-साथ अंगों के कार्य प्रणालियों के बीच समन्वय स्थापित करता है हार्मोन कहलाता है

जन्तु हार्मोन कि विशेषता

इस प्रकार के हार्मोन का स्राव सीधे रक्त में होता है यह अति अल्प मात्रा में संश्लेषित होता है इनका परिवहन रक्त के माध्यम से होता है

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अन्तःस्रावी ग्रंथिया

ऐसी ग्रंथियां जो शरीर के अंदर आंतरिक रूप से हार्मोन का स्राव करती है जिनका संबंध नलिका से नहीं होता है और जिनके द्वारा स्रावित हार्मोनों का प्रवाह सीधे रक्त में होता है अंत स्रावी ग्रंथियां कहलाती है इन्हें नलिका विहीन ग्रंथियां भी कहते हैं जो इस प्रकार है।

पीयुष ग्रंथि थायरॉयड ग्रंथि पैराथायरॉयड ग्रंथि एड्रिनल ग्रंथि थायमस ग्रंथि पिनियल ग्रंथि लैंगरहैन्स द्वीपिकाएँ तथा जनन ग्रंथियां |

पीयुष ग्रंथ– यह ग्रंथि खोपड़ी के आधाररिय भाग में मस्तिष्क के हाइपोथैलेमो से जुड़ी हुई अवस्था में पाई जाती है इस ग्रंथि में बहुत से हार्मोन बनते हैं जो शरीर की विभिन्न जैविक क्रियाओं को नियंत्रण करते हैं इस ग्रंथि को मास्टर ग्लैंड भी कहते हैं । पीयूष ग्रंथि से स्रावित हार्मोन वृद्धि हार्मोन होता है जो हड्डियों के वृद्धि को नियंत्रित करता है

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अतिकायता

यौवनारम्भ के बाद पियुष ग्रंथि के द्वारा स्रावित वृद्धि हार्मोन का अधिकता से शरीर का अधिक मोटा भद्दा स्थुल स्तनों और निवंतो का विशेष रूप से बढ़ जाना अतिकायता कहलाता है

लम्बापन

यौवनारम्भ के पूर्व पियुष ग्रंथि के द्वारा स्रावित वृद्धि हार्मोन कि अधिकता के कारण शरीर का आवश्यकता से अधिक लंबा हो जाना लम्बापन कहलाता है।

बौनापन

यदि वृद्धि हार्मोन का स्राव बचपन मे ही बंद हो जाए तो इससे शरीर कि वृद्धि रुक जाती है जिससे शरीर का लम्बाई नहीं बढ पाता है बौनापन कहलाता है।

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जनन ग्रंथि नियंत्रण हार्मोन

यह हार्मोन जनन ग्रंथि जैसे वृषण और अंडाशय में जनन हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करता है

लेक्टोजेनिक हार्मोन

यह हार्मोन माताओं में संतानोपति के समय बनता है और उनके स्तनों में दूध उत्पादन में सहायता करता है

ऑक्सीटोसिन हार्मोन

यह हार्मोन संतानोत्पति के बाद गर्भाशय की दीवारों के संकुचन में सहायक होता है इसके अतिरिक्त यह दूध स्राव को भी उत्प्रेरित करता है

क्रेटेनिज्म

बच्चों में उत्पन्न होने वाला रोग जो थायरोक्सिन की कमी के कारण होता है जिसमें शारीरिक मानसिक और बाहरी जनन अंगों का विकास रुक जाता है क्रीटीनिज्म कहलाता है इस रोग के कारण बड़े होने पर भी बच्चों जैसा व्यवहार करते हैं इन लक्षणों के अतिरिक्त क्रीटीनिज्म रोग से ग्रसित व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता है

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मिक्सिडेमा

यौवनारम्भ के बाद रक्त में हाइरॉक्सिन नामक हार्मोन की कमी से रक्तचाप एवं हृदय की धड़कन का बहुत कम हो जाना मिक्सीडेमा कहलाता है

घेंघा रोग

भोजन या जल में आयोडीन की कमी के कारण थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है जिससे गला असामान्य रूप से फूल जाता है जिसे घेंघा रोग कहते हैं

लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएँ

लैंगरहैन्स नामक वैज्ञानिक ने बताया कि लैंगरहैन्स द्वीपिकाएँ केवल अग्नाश्य पर पाई जाती है इसमे बनने वाले हार्मोन सिधा रक्त में मिलता है।

लैगरहैन्स दिपिकाएं में इन्सुलिन नमक हार्मोन बनता है। इन्सुलिन की खोज 1921 ई0 मे बैंटिंग नामक वैज्ञानिक द्वारा किया गया है।

मधुमेह का उपचार इन्सुलिन का इंजेक्शन के द्वारा किया जाता है

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रिलैक्सिन हार्मोन

यह हार्मोन गर्भ अवस्था के अंतिम चरण में स्रावित होती है यह गर्भाशय के संकुचन को रोकता है योनी को चौड़ा करता है और शिशु को बहर आने मे सहायता करता है। 

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